राम धमनियों में बहते अतुलित रक्त का हैं प्रवाह।
राम धमनियों में बहते अतुलित रक्त का हैं प्रवाह। राम बसे अंतस में मेरे मेरी सांसे हैं गवाह।। हैं राम धरा और राम गगन और राम मिलेंगे चहूँ ओर। मन का कुहास जो हट जाए तो दिखेंगे चहूँ ओर।। राम मिलेंगे तुमको भी जो सबरी माता को जानो। राम मिलेंगे तुमको भी पहले तुम खुद को पहचानो।। मन को पापी करने वालों राम न ऐसे दिखते हैं। जीवन श्रापी करने वालों राम न ऐसे दिखते हैं।। राम के दर्शन पाने को खुद पुण्य कमाना पड़ता है। दुनिया के असहायों पर खुद प्रेम लुटाना पड़ता है।। राम के दर्शन पाने को मर्यादा,आदर्श जगाना पड़ता है। राम के दर्शन पाने को ,खुद को राम बनाना पड़ता है।। Dr Aman shukla "Shashank" Book a show :- 9721842302