दो_मनहरण_घनाक्षरी_आप_सबके_समझ_प्रस्तुत_हैं। (१) शब्द शब्द चुनकर, गीत का सृजन किया, मनके पिरोये गए, जैसे किसी माला में। मातु भारती के लिए, लेखनी उठाई मैने, शांति क्रांति लिखूं जैसे, किसी पाठशाला में।। गीत लिखता हूं मातृभूमि की परम्परा के, आहुति प्रदान करूँ, धर्म यज्ञशाला में। राष्ट्रभक्ति रग-रग, बसी मेरे रक्त में है, बिकता नही हूं कभी, शाल या दुशाला में।। (२) गोरों का जो अत्याचार झेले तो उन्हें लिखा है, जेलों में लिखी गई कहानियों को लिखा है। मेरी लेखनी में अशफ़ाक भी दिखेंगे तुम्हें, सावर के जैसी जिंदगानियों को लिखा है।। शेखर को लिखा मैने व लिखा सुभाष को भी, पन्ना,और झांसी वाली रानियों को लिखा है। देश को बचाने हेतु झूल गए फांसी पे जो, मैने ऐसी सभी कुरबानियों को लिखा है।। अमन शुक्ला शशांक Book A SHOW__9721842302