सत्ता का चमत्कार


सत्ता का है चमत्कार और सत्ता की प्रभुताई है।

गलियारों से खींच के मुझको संसद तक ले आई है।।

लिखना शुरू किया था मैंने भारत देश की माओं से।

बूढ़ी माँ की आँशू और भारत की सीमाओं से।।

लिखना शुरू किया था मैंने लुच्चों और लफंगों से।

लिखना शुरू किया था मैंने हिन्दू मुस्लिम दंगों से।।

सूझ मिली तो समझ में आया इसकी जड़ तो नेता हैं।

बची खुची कमियों को पूरा करते अभिनेता हैं।।

उग्रवाद आतँकवाद इनकी कृपा दृष्टि से फैलें हैं।

क्या गलती है लोगों की जब शकुनी मामा घर में हैं।।

अब परिभाषा पहुँच चुकी है संसद के गद्दारों तक।

खादी में छुपकर के काले धंधे करने वालों तक।।

कहाँ गए हैं नेता सारे कहाँ गए हैं अन्ना अब।

लोकपाल अब कहाँ गया और कहाँ गया है काला धन।।

भीख न मांगो वोटों की अब ये ऐलान भी करना है।

भृष्टाचार मिटे भारत से यही तो मेरा सपना है।।

भृष्ट नेताओं क्या माँ की चिंता नही तुम्हें।

कबसे चाकू भोंक रहे हो भारत माँ की छाती में।।

कबसे देख रहा था इसको सहन नही कर पाया हूँ।

भारत माँ का बेटा माँ की लाज बचाने आया हूँ।।

   अमन शुक्ला-शशांक
लखीमपुर खीरी उत्तर प्रदेश
     9721842302
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