राम तो बनना पड़ेगा।
मन्थराएं तब भी थीं मंथराएं अब भी हैं।
मंथराओं को कुचलकर वार तो करना पड़ेगा।।
सूर्पणखायें गर चलेगी चालें छलछंदी तो फिर।
अनीतियों का नीतियों से प्रतिकार तो करना पड़ेगा।।
बेशक लगे अब दाग दामन पर मुझे स्वीकार है।
बुराइयों का किंतु अब उद्धार तो करना पड़ेगा।।
ताड़काएं हैं बहुत अब हो गईं इस देश में।
राम बनकर अब मुझे संहार तो करना पड़ेगा।।
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