जिस मिट्टी में जन्म लिया उस मां को बांट नही सकता
देश बाटने वाले तो कुछ अंग्रेजो के हेटे थे।
जो हंसकर बलिदान हुए वो भारत मां के बेटे थे।।
अमन आपसे प्रेरित होता नित्य कर्तव्य के पथ पर।
जैसे कोई योद्धा चढ़ता धर्म समर के रथ पर।।
मै पुरखों के बलिदानों को व्यर्थ नही जाने दूंगा।
मै सकुनी मामाओं को स्वांग नही रचाने दूंगा।।
देखूं कितना दम है तुममें सुनलो तुम्हे सुनाऊंगा।
सदा सनातन में जन्मा में हूं सदा सनातन गाऊंगा।
और सनातन में क्या दम है तुम सबको दिखलाऊंगाके
चक्र सुदर्शन धारी कृष्णा ने गीता उपदेश दिया जो।
श्री राम ने धर्म संकटों में धर्मोपदेश दिया जो।।।
वही धर्म और वही कर्म मै लेखन में दिखलाऊंगा।
जैसे सूर्य नही थकता है वैसे ही डट जाऊंगा
जिस मिट्टी में है जन्मबीके लिया उस मां को बांट नही सकता।
भूखा मरना मुझे गंवारा जूते चाट नही सकता।
गांडीव हाथ में लेकर जैसे अर्जुन रण में कूदे थे।
एक अकेला अर्जुन उस पर सौ सौ कौरव जूझे थे।।
वैसे ही मै निकल पड़ा हूं कलम हाथ में लेकर के।
काव्यकुंड के महायज्ञ में शब्द हव्य में देकर के।।
शब्द मात्रा छंद ज्ञान की रचना केवल दासी है।
जिसका चित्त शुद्ध होता है उसके हृदय में काशी है।।
चाहे कोई ज्ञानी आए ज्ञान नही मै मानूंगा।
मातृभूमि से बढ़कर है विज्ञान नही मैं मानूंगा।।
मां का बेटा भावुक होता तब ही भाव प्रकट होता है।
वर्ना मां के प्यार बिना ये सारा जग बैठा रोता है।।
अमन शुक्ला शशांक
लखीमपुर खीरी उत्तर प्रदेश
9721842302,9696252444
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