राजधानी
दुनिया के सब देशों की रजधानी देखो सुंदर है।
रजधानी में घटने वाली सभी कहानी सुंदर हैं।
रजधानी के रखरखाव का इनसे सीखो कभी तरीका।
लंदन देखो पेरिस देखो चाहे देखो अमरीका।।
इन देशों के नेताओं में भी तो झगड़ा रहता है।
लेकिन उनके झगड़ों में भी देश संवरता रहता है।।
सब देशों की रजधानी तुम देखो जगमग होती है।
अपनी दिल्ली सबसे पीछे बैठी बैठी रोती है।।
सभी व्यवस्थाएं दिल्ली की जैसे दारू का क्वाटर हों।
दिल्ली की हालत है ऐसी जैसे सड़े टमाटर हों।
कालनेमि ने अन्ना के अनशन में वादा कर डाला।
दिल्ली की पूरी जनता की बुद्धि को था हर डाला।।
जिसने दिल्ली के लोगों की आंखों में मिट्टी डाली।
वादों में पानी बिजली से आंखों पे पट्टी डाली।
उसने दिल्ली नर्क बना दी देखो बोल रहा हूं मैं।
सब देशों रजधानी से दिल्ली तोल रहा हूं मैं।।
जो घर घर पानी देने का वादा बड़ा किया था जी।
दिल्ली की आंखों में जो सपना खड़ा किया था जी।।
कजरी ने उन कजरीले आंखों के सपने जला दिए।
दिल्ली के अस्तित्व पुराने जो कुछ थे वो मिटा दिए।
झीलें घर घर पहुंचाकर अब स्वच्छ हवा वो खड़ा लिए।
जिसने दारू के ठेकों पर देखो बच्चे पढ़ा दिए।।
ऐसे नेता मेरे भारत में जिंदा तो शर्म करो।
दफ्न करो इनको धरती में पालन अपना धर्म करो।
दिल्ली की इस बुरी दशा का आखिर क्या मसला है जी।
दिल्ली वालों के लालच का ये परिणाम मिला है जी।।
इक कारण तो ये भी है कि एक जगह पर राजा दो।
दोनो में ये लगी पड़ी जी तुम कर दो जी तुम कर दो।।
दोनो की तू-तू ,में-में ,में ये दिल्ली फंस जाती है।
देश की रजधानी कहने को लेकिन यह मर जाती है।।
मरती है रजधानी लेकिन नेता जी हैं मौज में।
नेता जी दशों उंगलियां मावे वाले लौंज में।।
तब इस लेखक की कविता यह बात बताने निकली है।
जितने नेता भारत भर में सबके चेहरे नकली हैं।
जो दिल्ली की मरियल हालत कवि की कविता कहती है।
देश की रजधानी दिल्ली अब सिसकी सिसकी रहती है।।
सत्ता का परिवर्तन होना दुनिया में हलचल है ये।
राजधानी की सभी समस्याओं का सीधा हल है ये।।
जो आसीन वर्तमान में हो दिल्ली के आसान पर।
दिल्ली उससे शासित हो जो दिल्ली के सिंहासन पर।।
राजधानी दिल्ली भी अपनी तुम चाहो तो रंग लाए।
दिल्ली से बस सी एम पद की दावेदारी हट जाए।।
भारत तेरे टुकड़े होंगे कोई लगाता है नारा।
ऐसी गतिविधियों से आखिर देश हमारा क्यों हारा।।
जितने आतंकी आका हैं सब दिल्ली में बैठे हैं।
प्रश्न खड़ा होता है आखिर कैसे घुसकर बैठे हैं।।
इसका सीधा सीधा मतलब कोई अपना दुश्मन है।
जिसके मुंह पर मीठी बातें लेकिन भीतर दो मन हैं।।
ऐसे दो मन वालों का तो कुछ न कुछ करना होगा।
जो भारत के हैं दुश्मन उन प्राणों को हरना होंगा।।
फूट डालकर राज करो ये जिनकी मंशा रहती है।
उनके प्राण पखेरू हर लो राजनीति यह कहती है।।
ऐसी राजनीति का पालन करने वाले होंगे जब।
केवल नेता नही चाहिए ऐसे वोटर होंगे जब।।
तब ये भारत फिरसे पूरी दुनिया में छा जाएगा।
विजयी विश्व तिरंगा प्यारा तब ही माना जाएगा।।
अमन शुक्ला शशांक
लखीमपुर खीरी यूपी
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