गऊ रक्षा

#गोपाष्टमी_विशेष_गौ_रक्षा_हिंदू_कर्तव्य।

तीनों लोको के स्वामी हरि गौ की सेवा करते हैं।
नर बनकर जो गोकुल आते रूप कृष्ण का धरते हैं।।
शेषनाग को दाऊ बनाकर जो पृथ्वी पर लाए थे।।
गाय बचाने नट वर नागर खुद धरती पर आए थे।
सुबह निकलते गऊओं के संग, शाम को वापस आते थे।
परमबृम्ह परमेश्वर कृष्णा, दिनभर गाय चराते थे
जिनके दूध दही में जीवन, नारायण का बीता हो।
जो गौ माता के रक्षक हैं, वाणी उसकी गीता हो।।
दत्तात्रेय भगवन जैसे, ओमकार नित रूप धरें 
इतनी पूजनीय गौमाता, जिनकी सेवा हरि करें।।
ऐसी पूजनीय होकर भी, कचरे से गुजारा करती हैं
अब तो गौमाता रोती हैं, कृष्ण पुकारा करती हैं।।
अब ऐसे कलयुग में गऊएं, कहां चराई जाती हैं
लाखों गौमाता डंडों से, रोज भगाई जाती हैं।
लाखों गऊएं बंधक हैं, और सताई जाती हैं।
लाखों गऊएं कत्लघरों में, रोज कटाई जाती हैं।।
हम खुद को हिन्दू कहते हैं हम तो उनसे बत्तर हैं।
जो हमको काफ़िर बतलाते हूरें जिनकी बहत्तर हैं।।
दोष दूसरे पर मढ़ने से अपनी कमी नही सुधरेगी।
बातें लफ्फाजी गढ़ने से अपनी कमी नही सुधरेगी।।
हम गौमाता की रक्षा में क्या ही कदम उठाते हैं।
हिंदू गौमाता की रक्षा में कितना जोर लगाते हैं।।
जब तक दूध हमे मिलता है तब तक केवल पालन है।
मेरी नजर में ये तो केवल स्वार्थ सिद्धि अनुपालन है।।
अब भी यदि सोए तुम हिन्दू , कलयुग तुम्हे निगल जाएगा।
गौ भी यदि अवशेष हो गईं, तो पीछे पछताएगा।
अब भी शेष समय है बाकी, गौ रक्षा में तत्पर हो।
गौ सेवा में एक कदम, कर्तव्यनिष्ठ के पथ पर हो।।
जब शोध स्वयं का शोधित, होने को अतरंगी होता है।
फिर देखो तुम गोधन का रंग, क्या सतरंगी होता है।।
उसके बाद अगर कोई, गो पर आंख उठाए तो।
कत्ल बहुत ही दूर बात है, गो पर हाथ उठाए तो।।
शिव शंकर का प्रलयनाद बन, दैत्यों के सब झुंड छांट दो।
परशुराम का फरसा धारों,रुंड अलग कर मुंड काट दो।।
अमन शुक्ला शशांक

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